रिश्तों का मंझा 1. जीवनसाथी

घर से फ़ोन आया था अब तुम्हारे लिए कोई रिश्ता नहीं ढूँढने जायेगा जहाँ भी देखो बिना सोचे समझे तुम हमारी पसंद को नकार देती हो। हम अपने हिसाब से तुम्हारे लिये अच्छे रिश्ते ही ढूँढ के लाते हैं, पर तुम सबको मना कर देती हो। एकदिन छोटे भाई ने जीवनसाथी.कॉम पर प्रोफाइल बना दिया, कुछ दिन तक उसने भी लड़का ढूंढा फिर से परिणाम वही निकला हार कर उसने भी लड़का देखना बंद कर दिया, जब पसंद आना ही नहीं है तो क्यों मेहनत करना? शुरुआत में लगा सब डराने के लिए धमकी दे रहे है लेकिन जब एक साल तक किसी ने कोई रिश्ते की बात नहीं की और परोक्ष रूप से रिश्तेदार आपस मे कानाफूसी करने लगे तो यकीन हो गया अब कोई नही ढूँढेगा। एक ने फोन करके कहा "बेटा जब लड़का ढूँढ लेना तो हमें निमंत्रण पत्र देना मत भूलना।" 

धीरे-धीरे सारे संगी साथी रिश्तों की डोर में बंध रहे थे, यहा लड़की के ज़िंदगी के ओर-छोर का पता नहीं था। रिश्तेदारो ने दबी जुबान में बोलना भी शुरू कर दिया था "ढूँढ रखा होगा कोई लड़का तभी रिश्तों को नकार देती है।" छोटे और हमउम्र कजिन भी व्याहे जा चुके थे रिश्ते में बुआ और मौसी पद का इजाफा हो गया पर आज भी उस एक रिश्ते को ढूंढ नहीं पायी थी जिसे जीवनसाथी कहते हैं। एकदिन लगा सब नाराज हो गए है अब कोई रिश्ता नहीं ढूंढेंगा तो मन में प्रण कर जीवनसाथी.कॉम पर अपना प्रोफाइल फिर से देखना शुरू किया, दो-चार लड़कों के प्रोफाइल फोटो को पसंद किया जिसमे पहली वरीयता थी कि लड़के का परिवार छोटा हो और दूसरा नौकरी अच्छी करता हो सूरत से ज्यादा मतलब नहीं था, हा लड़का लंबा अवश्य होना चाहिए ये अनिवार्य था। पेड मेम्बरशिप थी इसलिए लड़के के प्रोफाइल को देखकर तुरंत संपर्क साधा गया, दूसरे तरफ कॉल पर लड़का स्वयं था। क्या मैं लखनऊ आप को देखने आ सकता हूँ? मैंने आपकी प्रोफ़ाइल देखी है जो मुझे अच्छी लगी।
लड़का: मैं कल का टिकट ले रहा हू ताकि मैं परसो आप से मिल सकू, मुझे घर जाने से पहले निर्णय लेना है फिर मैं फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा और प्रोजेक्ट ट्रेनिंग पर रहूँगा तो छुट्टी नहीं मिल पाएगी।
लड़की:  देखिए शादी करनी है परंतु आनन-फानन में किसी नतीजे पर नही पहुँच सकती। मैं चाहती हूं मुझसे मिलने से पहले आप मेरे बारे में भली भांति परिचित हो जाये तत्पश्चात सब कुछ ठीक रहा और किसी निष्कर्ष पर पहुँचे तो मिल भी लेंगे। मुझे मिलने की कोई शीघ्रता नही है। चौदह साल पहले मेरे बड़े भाई ने दूसरे धर्म की लड़की से व्याह कर लिया था इसलिये उसे घर परिवार से निष्कासित कर दिया गया, इसके बाद भी रिश्तेदारो ने मुंह फेर लिया। आज हम छोटे भाई बहन स्वालंबन हो गए तो फिर सारे रिश्ते नाते जुड़ गए पर वो चुभन दिल मे हमेशा के लिए रह गयी।
लड़का: मुझे इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता और आप से बात करके मेरे इरादे और भी पक्के हो गए है। मेरे लिये लड़की का ब्राह्मण होना आवश्यक नही था, मुझे आपकी प्रोफाइल अच्छी लगी बात करने में भी सहज महसूस कर रहा हूँ, मुझे आप पसंद आ गयी है अब वैसे मिलने की भी आवश्यकता नहीं है फिर भी मैं एक बार आपसे मिलना चाहूंगा। मेरे भाई-बहन ने भी अंतर्जातीय विवाह किया है और दोनों अपनी ज़िंदगी मे खुश हैं। मुझे या मेरे घरवालों को इन बातों से कोई फर्क नही पड़ेगा आप इस बात से निश्चिंत रहे। मेरे घरवाले तो इस बात से ही खुश हो जाएंगे कि मैने अपने लिये लड़की ढूँढ ली है।
लड़की: मुझे भी ऐसे ही लड़के की तलाश थी जो मेरे अतीत को न देखते हुए सिर्फ मुझसे जुड़े। आज उसके मन का बोझ उतर गया था बहुत हल्का महसूस कर रही थी। उसका मानना था किसी भी रिश्ते की बुनियाद सच पर आधारित होना चाहिए उसके घरवालों का कहना था कि हर बात बताने की जरूरत नहीं, यही पर वैचारिक मतभेद था। वो अपनी गृहस्थी आगे चलकर इस वजह से टूटते नहीं देखना चाहती थी। लड़का-लड़की कुछ दिन तक बात करते रहे और उनकी घनिष्ठता बढ़ती गयी मिलना औपचारिकता मात्र रह गयी।
उनदिनों रिलायंस ने फुल टॉक टाइम दे रखा था फोन पर पूरी रात बात होती। परिस्थितियां ऐसी थी की लड़की डिग्री कॉलेज में एडहॉक लेक्चरर थी पूरी रात जाग कर सुबह क्लास में लेक्चर देती और लड़का पूरी रात फ़ोन पर रहता और सुबह पेपर देता था। लड़की को डर लगा रहता ऐसा ही रहा तो ये सेमेस्टर में पक्का लड़का फेल हो जाएगा।  
     अब बारी थी घर वालो से रिश्ते को मुहर लगवाने की छोटा भाई विदेश में था उसे फोन पर बोलते समय संकोच हो रहा था लड़का बार-बार कहता अपने घरवालो से बात कराओ किसी तरह हिम्मत जुटाकर छोटे भाई के समक्ष अपने मन के विचार प्रकट कर दिए गए "ऐसा लगता है मेरे सितारें यहा मैच कर रहे हैं तुम जरा बात करके देख लेते तुम्हें ठीक लग रहा है।" भाई ने बात करके देखा काफी मिलती-जुलती परिस्थितियों से गुजरे थे अतः उसने भी इस रिश्ते को स्वीकृति दे दी। अब बात मिलने मिलाने की आ पहुँची। मां बेहद खुश थी चलो लड़का तो पसंद हुआ ब्राह्मण है यही जानकर उन्होंने गंगा नहा लिया था। सबके खुश होने के अपने कारण थे।
लड़का: ट्रेन में बैठते ही लड़की को फोन करके बोला मैं अपने दोस्त के साथ आ रहा हू वो भी लखनऊ का हैं तो मुझे सुविधा रहेगी, क्या मैं उसे अपने साथ ला सकता हूँ। हम रेस्टोरेंट में नहीं आपके घर मिलने आएंगे अगर आपको आपत्ति न हो तो।
लड़की: हा ठीक है कोई बात नहीं ला सकते है। भाई विदेश था इसलिए उसका दोस्त भाई का फर्ज निभा रहा था। दोनो लड़के इतने सहमे से लड़की के घर आये की लड़की की माँ और उसके भाई के दोस्त ने ही दोनो का इंटरव्यू ले लिया। सर्दी के महीने में भी दोनो लड़के पसीना पोछते नजर आए। लड़की को उसदिन गलतफहमी हो गयी थी कि लड़का बड़ा सीधा है। बीच-बीच मे भाई का दोस्त बोलता "दीदी आप लड़के से बात करो न, आपलोग तो कुछ बात ही नही कर रहे।" लड़की उसे बता नहीं पायी की वो उससे घंटो बात करती है अब कुछ भी पूछना  शेष नहीं है। लड़के के दोस्त ने गलती से पूछ लिया कि आपने पीएचडी किस टॉपिक पर की है.... जबान लड़खड़ाते हुए बहुत धीमी स्वर में।
लड़की की माँ: इसे अपनी थीसिस दिखाओ न।

लड़की: माँ को इशारा करते हुए अरे खामखा क्यों परेशान कर रही हो, इनलोगों को क्या समझ आएगी थीसिस। ये आईटी प्रोफेशन वाले लोग हैं परंतु वो नही मानी और दस किलो की थीसिस उठा लायी फिर क्या था लड़का और उसका दोस्त थीसिस के पन्ने पलटते रहे चाय नाश्ता भी नहीं कर सके और एक हाथ से दिसंबर के महीने में पसीना पोछते रहे।

लड़का: मिलने के पश्चात लड़की को फोन भी नहीं किया रात को बारह बजे फ़ोन करके बोला "मैने आपके भाई को न बोल दिया है ऐसे ही चिढ़ाने के लिए।"
लड़की: फिर मुझे फोन क्यों किया है फ़ोन नहीं करना चाहिये था। आगे से मुझसे संपर्क मत करना।

लड़का: अरे मैं मजाक कर रहा था, मैंने शाम को ही आपके भाई को हा बोल दिया था, उनसे बोला था कि आपको न बताए।

लड़की: इतना समय क्यो लगा फोन करने में?

लड़का: सोच रहा था मेरा निर्णय सही है या नहीं दोस्त ने बोला है सोच समझकर फैसला लेना जीवन भर की बात है आवेश में लिया फैसला गलत हो सकता है।कल सुबह मैं फिर से मिलने आऊंगा आपके अंकल ने खाने पर बुलाया है कल उनसे मुलाकात नहीं हो पायी थी। अगले दिन खाने से पहले एक छोटी सी रस्म भी हो गयी। अंकल भी सॉफ्टवेयर फील्ड के थे तो दोनों घंटो मार्किट वैल्यू और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बात करते रहे।
लड़का: आज अच्छी लग रही हो कल अच्छी नहीं लग रही थी ऊपर से सिर पर तेल लगा रखा था।

लड़की: माइग्रेन की प्रॉब्लम है सो सिरदर्द का तेल लगा रखा था।

अंकल: बेटा जी मैंने इससे बोला था जब लड़का मिलने आये तो वो अपना चमेली का तेल लगाकर मत मिलना पर इसने मेरी बात नहीं मानी।

लडक़ी: अंकल कल बहुत काम था समय नही मिला शैम्पू करने का ये लोग समय से पहले आ गए थे।

अंकल: बेटा वैसे आपने बहुत सही निर्णय लिया है आप कभी पछताओगे नहीं। मैं सिर्फ दो साल से जानता हूँ इसको पर ये बहुत अच्छी लडक़ी है। जहाँ ये रिसर्च करती थी वहा के शोधार्थी मेरे यहा टेनेंट रहते थे मैं आठ बजे रात को सो जाता हूँ और ये लोग रात को नौ बजे से पहले घर ही नहीं पहुँचते हारकर मैने इसको भी एक डुप्लिकेट चाभी दे रखी है।

   अगले दिन रेस्टोरेंट में लड़का-लड़की मिले साथ वेलकम फ़िल्म देखने गए। फ़िल्म शुरू होने से पहले लड़के ने जीन्स सिलने को दिया था जो समय से स्टिच नहीं हुआ ट्रेन का समय हो गया था लड़के ने मॉल में चिल्ला चिल्लाकर उसे डांटा रास्ते मे ऑटोवाले पे भी गुस्सा किया जो समय से स्टेशन नहीं पहुंचा पाया और ट्रेन छूट गयी। जिस लड़के को वो अभी तक गऊ समझ रही थी सारा भ्रम टूट गया, ये तो बहुत गुस्सैल है जब लडाई होगी संभल कर रहना पड़ेगा।
उस दिन लड़की ने भेंट स्वरूप उसे एक जीन्स दी थी जो उसदिन स्टिच नही हुई तो आजतक वैसे ही रखी है कभी पहनी नहीं गयी। अपनी पसंदीदा साहित्य और पेन भी लड़के को भेंट में दिया था जिसे लड़के ने ऑटो में ही छोड़ दिया। लड़की को ये बात समझ मे आ गयी थी कि लड़के का साहित्य में कोई रुझान नहीं हैं पर लड़का अच्छा है और वायदे को निभाने वालो में से है। उसे जीवन साथी बनाने के लिए बस इतनी बात पर्याप्त थी। उसे गुस्सा बहुत आता है कभी गुस्से का शिकार वो भी होगी यही चिंता खाये जा रही थी। कुछ दिनों बाद इंगेजमेंट भी हो गयी। लड़की को ही सारी तैयारी करनी थी, भाई डेनमार्क में था, माँ बीमार थी, मैरिज हाल बुकिंग, कैटरिंग, गिफ्ट, कार्ड प्रिंटिंग, कार्ड पोस्ट से भेजना और हर तरह की शॉपिंग की आपाधापी में समय गुजरता जा रहा था। रात मे जब लड़के से बात होती तो दिनचर्या का वृत्तांत होता। इधर लडक़ी की कुछ महीनों से स्वास्थ बिगड़ने लगी थी। DST के वुमन साइंटिस्ट प्रोजेक्ट को सबमिट करके आने के पश्चात उसकी स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था, टेस्ट से ब्रोंकाइटिस (अस्थमा) का पता चला।

लड़का: डॉक्टर को दिखाया?

लड़की: हा, डॉक्टर ने ब्रोंकाइटिस बोला है। मुझे ब्रोंकाइटिस है तो तुम ये शादी मत करो।

लड़का: कल को शादी के बाद मेरे साथ कुछ बुरा घटित होता तो तुम ऐसा करती क्या? मेरा किसी दुर्घटना में या कल को कोई बीमारी हो जाये तो तुम मुझे छोड़ दोगी क्या?

लड़की: नही, पर इन दिनों मुझे बहुत प्रॉब्लम हो रही है। मैं नहीं चाहती कि तुम्हें ये सब झेलना पड़े।
लड़का: समय से दवा और इनहेलर लो फिर मेरे से ऐसी बातें मत करना। ब्रोंकाइटिस के साथ भी तुम अच्छी ज़िंदगी जी सकती हो।

लड़की का कभी अपने इलाज में कभी माँ के इलाज में ज्यादातर समय अस्पताल में या खरीदारी में बीत रहा था। अक्सर माँ की हालत ऐसी हो जाती की दिनभर अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते। लड़की की जिंदगी में सुकून नहीं था घर तो बस रात में ही होती थी पूरा दिन व्यस्त रहता। लड़की काम की व्यस्तता में डॉक्टर के पास नहीं गयी रात को लड़के से बात करते वक्त उसकी खांसी कंट्रोल नही हो रही थी। लड़के ने बोला तुम डॉक्टर को जाकर नहीं दिखा सकती थी तुम्हारी इतनी तबीयत खराब है। लडक़ी ने अनमना सा जवाब दिया समय नहीं निकला दिनभर बहुत काम था अब एक सप्ताह बचे हैं बहुत काम पड़ा है जो निपटाने है इसलिए नहीं जा पायी दो दिन में भाई आ जायेगा तब मुक्ति मिलेगी। 

लड़का: तुम्हें डॉक्टर को दिखाने का समय नहीं मिला, ऐसा भी क्या काम कर रही हो तुम?

लड़की: गुस्से में, तुमने भी तो वीएलसीसी जॉइन किया था शादी से पहले स्लिम होना था न, कितने दिन गये वहां तुम्हारे पास भी तो वक्त नहीं होता?
लड़का: तुम्हें शादी के लिये सलमान खान चाहिए था तो पहले बताना था वो गुस्से में तमतमा गया।

लड़की: तो तुम्हें कौन सी ऐश्वर्या राय चाहिए थी और गुस्से में फोन काट दिया।

लड़का: फिर फ़ोन किया लड़की ने फिर काट दिया।

लड़की: पाँच मिनट बाद गुस्से में फ़ोन की, अभी तुमने शादी के कार्ड नही बांटे है इसलिए अब मत बांटना, मुझे तुमसे शादी नहीं करनी।

लड़का: धैर्यपूर्वक, देखो मैं तुम्हारे लिए ही बोल रहा था। तुम्हारी ही तबीयत खराब है डॉक्टर को दिखाना ज्यादा जरूरी है, चौबीस घंटे का समय है तुम्हारे पास मुझे फोन करके बता देना कार्ड बांटना है या फाड़कर फेंक देना है।

लड़की: रात भर सोचने के बाद सुबह फ़ोन करके बोली कार्ड बांटना शुरू करो मैंने भी कर दिया है।

      इस तरह लड़का-लड़की लड़ते-झगड़ते विवाह सूत्र में बंध गए। दोनों शादी के दो साल तक लड़ते- झगड़ते रहे बीच-बीच मे उलाहने भी दे दिये जाते थे कि अपनी बातों से ठग लिया। पहले से एक दूसरे को अच्छे से जानते थे फिर भी तालमेल बिठाने में थोड़ा वक्त लगा क्योंकि शादी से पहले और बाद के समीकरण काफी बदल जाते है। अंततः वक्त और परिस्थिति के अनुसार एक ढांचे में धीरे-धीरे ढल ही जाते है।


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