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कैंपस प्लेसमेंट

 लिंक्डइन में अंकिता की जॉब प्रोफाइल देखकर सुदीप के आंखो की नींद उड़ गयी थी बेटी और पत्नी पूछते रहे क्या हुआ पर वो व्यथा बताने में असहज था। अरे अंकिता गूगल पहुँच गयी और हमलोग अपने करियर से निश्चिंत होकर बैठ गए हैं। अब कोई आकांक्षा नहीं बची थी फिर भी लाख कोशिशों के बावजूद आंखों में नींद न थी। गूगल मे नौकरी करना ये कोई आम बात नहीं है, क्या सुविधाएं देते हैं वो लोग अपने एम्प्लॉई को? उनका US का ऑफिस देखलो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का सुनहरा ख्वाब होता हैं। फिर सभी ने गूगल के ऑफिस, कैंटीन, और सभी जगह का ऑनलाइन भ्रमण किया। तो क्या हुआ जो वो गूगल में काम करती है? तुम्हारे बैच की टॉपर थी उसके योग्य थी वह?  "तुम लोग तो कहते थे कि उसके अंदर कोई प्रतिभा नही है लड़की होने के कारण उसे ज्यादा अंक प्राप्त होते थे। तो बिना प्रतिभा के ही उसने जेएनयू में टॉप किया और अब गूगल में इतना अच्छा पैकेज मिल रहा है।" पत्नी और बेटी की ये व्यंग्यात्मक टिप्पणी सुदीप को अच्छी नहीं लग रही थी उसके आँखों में अतीत के दृश्य घूमने लगे। तेरह साल पहले जेएनयू से चयनित तीन अभ्यर्थियों में अंकिता, सुहैल और सुदीप थे जिन्होंन