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रिश्तों का मांझा

ये जो जिंदगी की किताब है न बस उसे पढ़ने में हम थोड़ा चूके है, क्या करें हिसाब-किताब में थोड़े कच्चे है, कोई प्यार से दो बोल मीठे बोल दे तो कसम से दिल निकाल कर दे देते है। हमारी भी एक बुरी आदत है इन्द्रधनुष को देखकर दिल उछालने की। इन्द्रधनुष को देखते हीं हमारा नन्हा सा दिल उछलने और मचलने लगता और ये वाकया बारंबार हुआ है। हर जगह हमे विकल्प की आवश्यकता होती है। हमने हर जगह अपना एक ठिकाना ढूंढ रखा था सिवाय फेसबुक और व्हाट्सएप के। ये दोनों जगह फैमिली और दोस्तो के लिए सुरक्षित बचा के रखा है। सच बताये तो ये दोनों जगह अतिकष्टदायक है यहां कतई हम अपना आगमन नही चाहते। यहां लोगों की महत्वकांछा इतनी बढ़ जाती है खामखा किसी को इतना महत्व नहीं देना चाहते कि सबके अनगिनत बातों को जबरन गले लगाये। यहा हमारा प्रसिद्ध फंडा बात सबसे करो मगर प्यार हमसे करो लागू नही होता। यहा हम न तुम जानो न हम मोड पे ज्यादा अच्छे लगते हैं नहीं तो सुबह से शाम तक दिन और मुहूर्त बताने के प्रोग्राम पेश होते रहेंगे। आप खुद सोचे आप के हाथ में सुबह के चाय का प्याला भी नहीं आया और आप संदेशों के जवाबी कार्यवाही में लग जाते हैं न चाहते हुए