खुशरंग हिना
हिना का जन्मदिन आया उसके किसी खास ने लंदन से उसके लिए ग्रीटिंग कार्ड और तोहफा भेजा था। ग्रीटिंग कार्ड पर भेजने वाले ने अपना नाम नहीं लिखा था वो जगह उसने 'महफूज' रखी थी ताकि कोई और न जान सकें। हिना ने बताया था कि वो उसके खाला का बेटा है, बचपन से दोनों की शादी तय थी और आपस में प्यार भी था। लंदन से जितने बार भी महफूज आया पहली तशरीफ़ हिना के घर होती थी। घरवाले प्रतीक्षा में थे कि उसका मास्टर्स हो जाये तो दोनों की शादी करवा दे।
जब वो लंदन जा रहा था हिना बहुत रोयी थी तो उसने कहा था "तुम्हें एतबार नहीं है क्या मुझपर? मैं तुमसे निकाह करके भी जा सकता हूँ।"
हिना ने गौरवांवित होकर बोला था "मुझे खुद से ज्यादा अपने प्यार पर भरोसा है, आप खुशी से जाये अब एक भी आँसू नहीं बहाउंगी।"
घरवालों ने उससे बोला जब तक वो सर्जन नहीं बन जाता तुम शिक्षिका का प्रशिक्षण कर लो इसलिए वो लखनऊ आ गयी थी। अपनी शादी और महफूज को लेकर जाने कितने सपने संजोए थे उसने?
भावना और अन्य लड़कियां भी भली भांति महफूज से परिचित हो चुकी थी सभी को ज्ञात था कि वो उसका मंगेतर है। लड़कियां उससे अक्सर कहती तुम्हें तो कोई याद करनेवाला है हमारा तो कोई सुध लेने वाला ही नहीं है। सभी उसे महफूज़ के नाम से छेड़ती और वो चिर परिचित अंदाज में मुस्कराकर कहीं खो जाती।
रमज़ान का महीना आ गया, परदेश में रहकर रोजा रखना आसान काम नहीं था होस्टलर ज़िन्दगी में इफ्तारी कैसे होगी ये भी समस्या थी पर हिना ने रोज़े रखने का दृढ निश्चय किया। इफ्तारी से ठीक आधा घंटा पहले दरवाजे पर दस्तक हुई भावना ने देखा सामने एक गोरा चिट्टा, बड़ा ही प्यारा तकरीबन सोलह साल का लड़का तश्तरी में बहुत सारा सामान लेकर खड़ा था, पूछ रहा था यहा कोई हिना दीदी रहती है क्या?
भावना ने आवाज देकर कहा "हिना कोई तुम्हें पूछ रहा है, वो उस समय नमाज पढ़ रही थी।"
दीदी मैं आमिर पीछे वाले घर में रहता हूँ। शीतल आंटी ने बताया था अम्मी को कि आपने रोज़ा रखा है इसलिए हमारे यहाँ से आप सभी के लिए रोजा इफ्तारी आएगा। भावना ने बोला एक ही रोजा रखती है तो इतना सारा खाना रोज किस लिये?
दीदी आप सभी के लिए, आप लोग भी तो घर से दूर रहते हो घर के खाने की याद आती होगी। भावना के विचार बदल रहे थे कुंठा से ग्रसित उसका मन धीरे-धीरे साफ हो रहा था। हर दिन सभी लड़कियों के लिए इफ्तारी आती रही।
हिना से ज्यादा शाम की प्रतीक्षा अन्य लड़कियों को रहती, लगता था कब के भूखे है खाना देखकर सभी झपट पड़ती थी। घर से दूर रहने के बाद घर के खाने का महत्त्व पता चलता हैं और यहा तो जैसे छप्पन भोग ही थाली में परस कर आ जाता था। अब तो लड़कियों को किसी का इंतजार रहता था तो आमिर का, कभी-कभी वो ऐसे भी उन सबसे मिलने आ जाया करता था। लड़कियों के किचन से आमिर का कमरा दिखता था जब वो पढ़ते थक जाता तो गाना लगाकर मौज मस्ती करता। इधर लड़कियां के किचन में कभी तहरी तो कभी पुलाव पकता, जिस दिन ज्यादा समय मिलता तो पूरा खाना भी बन जाता। रोज लेसन प्लान बनाना, चार्ट पेपर, मॉडल बनाना, प्रैक्टिस में ही काफी समय निकल जाता था। एकदिन नाश्ता के समय ब्रेडरोल में एक मक्खी मिल गयी इसलिए लड़कियों ने स्वयं से खाना बनाना शुरू कर दिया था।
ईद के दिन सभी लड़कियां आमिर के घर आमंत्रित थी, घर क्या आलीशान बंगला था और सभी को अच्छी ईदी भी मिली थी। लखनऊ के कुछ इलाकों में काफी रईस मुस्लिम रहते है नजरबाग भी उनमें से एक था। भावना का जिंदगी में ऐसा पहला अनुभव था जो बेहद खुशियों से भरा रहा।
मुहाफ़िज़ ने जन्मदिन, नव वर्ष और इस बार तो वैलेंटाइंस डे पर भी कार्ड के साथ फूलों का गुलदस्ता भेजा था बस इस बार भी हमेशा की तरह कोई नाम नहीं लिखा था।
रात को अक्सर सोते वक़्त हिना हाथ बढ़ाकर भावना के चेहरे को स्पर्श करती जिससे भावना धीरे-धीरे अवगत हो गयी थी "तो आज भी महफूज के ख्वाबो खयालों में थी?"
वो सकुचाकर बोलती हाँ।
भावना झुंझलाहट में बोलती यहाँ तुमने मुझे महफूज समझ लिया है वहाँ साहबजादे अंग्रेजों के साथ मौज कर रहे होंगें।
उसने तुरंत इस बात को नकारा था "नहीं वो बहुत अच्छा है और ऐसा कभी नहीं करेगा।"
ये उन दोनों के बीच का गुप्त संवाद था जिस दिन उसने सपने में उसके चेहरे की ओर हाथ बढ़ाकर स्पर्श किया निश्चय ही वो उसके सपनों में होता जिसे वो छूने की असफल कोशिश करती। बहुत ही सरल और संवेदनशील लड़की थी हिना जरा सी बात पर बिखर जाती, बाकी लड़कियां खयाली पुलाव पकाती काश! खाने को चाय पकौड़े मिल जाते और वो सभी के लिये बनाकर ले आती किसी को पता भी न चलता कब वो ग्रुप से निकल कर रसोई में गई और झटपट सबके लिए बना भी लायी।
ऐसी ही थी हिना सदा औरो के लिए और उनकी खुशियों के खातिर जीने वाली हँसमुख सांवली सी इकहरे बदन की लडकी।
होली आने वाली थी सभी अपने घर छुट्टी पर जानेवाले थे हिना बोली वो परीक्षा की तैयारी करेगी अतः घर नहीं जाएगी। दो दिन पहले ही उसने सबको आगाह कर दिया कि कोई उसके ऊपर रंग, अबीर-गुलाल नहीं लगाएगा, वो बहुत सख़्त है इस मामले में क्योंकि मुस्लिम रंग नहीं खेलते। भावना को उसने सख्ती से निर्देश दिये जब भाई लेने आएगा तुम्हें तो बोल देना कोई रंग नहीं चलेगा। सुबह भावना का भाई उसका नीचे इंतजार कर रहा था हिना ने उसे आवाज देकर ऊपर बुलाया। तुम भावना के भाई हो तो मेरे भी भाई हुए "भैया मैं आप दोनों को जाने से पहले थोड़ा सा गुलाल लगा दू?
भावना ने बोला "तुम्हें तो रंग खेलना नहीं था हम सभी को रंग न लगाने के लिए दो दिन पहले तुमने आदेश जारी किया था उसका क्या?"
उसने हरफनमौला अंदाज में कहा "पहले आज में जी ले, मुझे मालूम है अगर मैं आज चूक गई तो फिर कभी होली नहीं खेल पाऊंगी। मुझे भी तुमलोगो के साथ रंग खेलना है, होली मनानी है। क्या तुम अपना जाना रद्द नहीं कर सकती? तुम सब चले जाओगे तो मैं यहाँ अकेली पड़ जाऊंगी और भावना उसके आग्रह पर रूक गयी।
धीरे-धीरे वक्त गुजरता गया और वो सभी प्रशिक्षित शिक्षिका बन अपने शहर को लौट गयी बस भावना पीजी करने के लिए वही रुक गई।
भूतनाथ चौराहे पर एक दिन अचानक से हिना भावना के भाई को मिली और देखते ही बरसों बाद भी पहचान गई। उससे ही ज्ञात हुआ कि हिना की शादी हो गई, उसके साथ एक छोटा बच्चा भी था। भाई से पता चला था कि लेखराज मार्केट के पास ही एक कॉलोनी में वो रहती है, उसने कहा था कभी जाकर दीदी से मिल लेना आपको बहुत याद करती हैं।
बहुत मन था हिना से मिलने को पूरे चार साल हो गए थे सब अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ गये थे, फिर बहुत कुछ कहना-सुनना था, उसकी शादी और करियर के बारे में भी जानना था। मन में बहुत सारे विचार आ रहे थे पहली बार महफूज से मिलने का मौका मिलेगा और भी न जाने क्या-क्या बाते उससे करनी थी ये सोचकर ही मन रोमांचित हो रहा था।
ख़्यालों में डूबी भावना ने थोड़ी घबराहट और कशमकश में आखिकार दरवाजे पर दस्तक दिया। आगंतुक ने चिरपरिचित अंदाज में दरवाजा खोला चेहरे पर वही पुरानी मुस्कान बिखरी थी, देखते ही अरे भावना तुम! कहकर गले लगा लिया। इसी शहर में रहती हो और एकबार भी ढूंढने की कोशिश नहीं की।
भावना बोली "नहीं पता था तुम इस शहर में मुझे मिलोगी, तुमसे फिर कभी संपर्क स्थापित नहीं हो पाया।"
भावना की नजर प्यारे से घुंघराले बालों वाले बच्चे पर पड़ी कुछ पूछती इससे पहले हिना ने बोला "ये मौसी है तुम्हारी हादी सलाम करो।"
ये है हादी मेरा बेटा बस कुछ दिनों में दो साल का हो जायेगा।"
तुम्हारा बेटा बहुत ही प्यारा बेटा है बिल्कुल तुम पर गया है। तुमने किसी स्कूल में अध्यापन का नहीं सोचा?
हादी का अर्थ क्या होता है?
हादी का अर्थ होता है पथप्रदर्शक। ये अभी छोटा है थोड़ा और बड़ा हो जाये तब कर लूँगी, पूरा दिन इसको संभालने में लग जाता है और घर में भी काफी काम रहता है।
हादी के अब्बू कहाँ है कही दिख नहीं रहे? पत्रकार है कोई फिक्स टाइम नहीं है आने की, चार बजे तक आ जायेंगे शायद।
तो हादी के अब्बू ..... उसने बात काटते हुए बोला डॉक्टर नहीं है। मेरे शौहर का नाम हाशिम है। महफूज ने विदेश में ही अपने धर्म की एक डॉक्टर लड़की से शादी कर ली थी।
और तुम.....भावना के मुख से बोल नहीं फूट रहे थे।
"मैं तो उसके लिए विकल्प मात्र थी मुझसे बेहतर इंसान मिल गया तो वो मुझे भूल गया।" अब तो लोग शादी का भी व्यवसायिकरण करने लगे हैं, बिना नफा मुनाफा के कोई सौदा नहीं करते।
तुम्हारी तो हर दुआ में बस वहीं था फिर उसने ऐसा क्यों किया? भावना ने प्रसंग छेड़ा।
इसका जवाब तो वहीं बेहतर दे सकता है। छोड़ो वो बातें मैं मल्लिका मसूर की खिचड़ी और पकौड़े बनाती हूँ खा कर जाना, तुम्हें मेरे हाथ की खिचड़ी बहुत पसंद थी न।
हाँ पसंद अब भी है पर खाने का मन नहीं है। हादी भी वो खिचड़ी बड़े चाव से खाता है। भवना रूआंसी हो गई थी पर मना नहीं कर पायी। कुछ देर कमरे मे खामोशी फैली रही हिना कुछ कह रही थी मैंने आखिरी बार जब दुआ पढ़ी तो उसे उसके सारे खताओ के लिए माफ कर दिया। बहुत तकलीफ हुई थी जब ये खबर सुना था कि वो डरकर मेरा सामना नहीं करना चाहता। मुझे तुम्हारी वो बात याद आयी वो अपना नाम क्यों नहीं लिखता वो स्थान उसने रिक्त क्यो छोड़ा था? क्या मैं उसके लिए एक विकल्प मात्र थी और वो मेरी हर दुआओं में शामिल था। वो आज भी दुआओं में सदा के लिए महफूज है।
भावना का चित्त बहुत उदास था, हिना का सौम्य चेहरा और इतनी सरलता से बोल दी गई बातें उसके मन को कचोट रही थी बरबस पुरानी बातें मानो उसे काटने को दौड़ रही थी। भावना की आंखों के कोर से आँसू बह निकले।
हिना ने हँसते हुए पूछा "खिचड़ी, धनिया की चटनी और पकौड़े कैसे है बताओ न?"
तुम्हें पसंद आया मेरा खाना? खाला ने ही मेरा नाम हिना रखा था, हिना का तो काम ही है दूसरों के जीवन में रंग लाना।
Speechless
जवाब देंहटाएंThe end of the story is very disappointing, the character's story is happening in front of the characters,
जवाब देंहटाएंDidi,you have written a very good story
Hearttouching story and the way of portraying is really very impressive
जवाब देंहटाएंHearttouching story and the way of portraying is really very impressive
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